स्वदेशी वस्तुओं को लाकर हर तरफ अपना वर्चस्व बढ़ा रहा है इंडिया। स्वदेशी वस्तुओं को लाकर हर तरफ अपना वर्चस्व बढ़ा रहा है इंडिया।
इब्तदा का दौर है मैं भी एक इब्तदा कर रहा हूँ, तेरे गुनाहों को मुआफ़ कर तुझे खुद से इब्तदा का दौर है मैं भी एक इब्तदा कर रहा हूँ, तेरे गुनाहों को मुआफ़ ...
मैं भारत ... आज विवश बेहाल बेरंग-सा अपनी खोखली जड़ों को समेटता भ्रष्टाचार, वासना अरा मैं भारत ... आज विवश बेहाल बेरंग-सा अपनी खोखली जड़ों को समेटता भ्रष्टाच...
प्यार की "आज़म"नहीं की बातें वो ज़ुबां का रोज़ ही तीखा रहा। प्यार की "आज़म"नहीं की बातें वो ज़ुबां का रोज़ ही तीखा रहा।
उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है। उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है।
जाते जाते कह रही जवानी "मैं तो वैसे भी चली जाऊंगी पर बचपन को कैसे निकालोगे?" जाते जाते कह रही जवानी "मैं तो वैसे भी चली जाऊंगी पर बचपन को कैसे निकालोग...